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मिडिल ईस्ट में छिड़ी हमास-इजराइल की जंग के थमने का इंतजार हर कोई कर रहा है, इस जंग को शुरू हुए 7 महीने हो चुके हैं. इजराइल ने गाजा में नरसंहार किया है, जिसमें अब तक करीब 30 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. इस जंग को रोकने के लिए इजिप्ट, कतर और अमेरिका हमास और इजराइल के बीत समझौते की कोशिश कर रहे हैं पर इसका कोई निष्कर्ष सामने नहीं आया है, हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया जा सकता कि यह जंग कब तक रुक सकती है. इसी बीच तनाव तब दोबारा बढ़ा जब संयुक्त राष्ट्र की महासभा में कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता वाले प्रस्ताव का समर्थन किया गया है, इस समर्शन के लिए सऊदी अरब ने बाकी देशों की सराहना की है .
10 मई को संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली का आयोजन किया गया. इस असेंबली में अरब समूह ने फिलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता दिए जाने के प्रस्ताव को पेश किया, मई में संयुक्त अरब अमीरात अरब समूह का प्रेसिडेंट है, जिसने यह प्रस्ताव पेश किया. 193 सदस्यों वाले इस संगठन में इस प्रस्ताव को लेकर वोटिंग की गई, जिसमें इसके पक्ष में भारत के साथ-साथ 143 देशों ने वोट दिया, जबकि इजराइल और अमेरिका के साथ 9 अन्य देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया. वहीं 25 ऐसे देश थे, जिन्होंने इस वोटिंग में भाग नहीं लिया.
इस प्रस्ताव में कहा गया कि फिलिस्तीन अभी के समय में सुपरवाइजर स्टेट है, जिसकी वजह से वह संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए योग्य है. जनरल असेंबली में सुरक्षा परिषद से सिफारिश की गई इस मामले पर अनुकूल रूप से दोबारा विचार किया जाए और फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता के साथ मिलने वाले ज्यादातर अधिकार और लाभ मिले. रेजोल्यूशन ने निर्धारित किया कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 4 के मुताबिक फिलिस्तीन UN में सदस्यता के लिए योग्य है और इसलिए उसे UN का सदस्य बनाना चाहिए.
सऊदी अरब के फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा कि निर्णय ने फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अंतर्निहित अधिकारों और दो-राज्य समाधान के ढांचे के भीतर एक इंडिपेंडेंट स्टेट स्थापित करने पर इंटरनेशनल सहमति को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है. आगे इसमें कहा गया कि किंगडम प्रस्ताव के पक्ष में वोट देने वाले देशों की पॉजिटिव पोजीशन की सराहना किया.
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