(जी.एन.एस) ता.15
कोलकाता
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी चटर्जी की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के नगरपालिका भर्ती घोटाले में केंद्रीय एजेंसी की जांच के लिए एकल-न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा। खंडपीठ ने कहा कि स्कूल भर्ती मामला और नगर निगम भर्ती मामला आपस में जुड़ा हुआ है। खंडपीठ ने कहा, दोनों मामलों में एक ही व्यक्ति शामिल हैं। इस तरह के घोटालों ने युवा पीढ़ी को अत्यधिक निराश कर दिया है। इसलिए, इस मामले में केंद्रीय एजेंसी की जांच का कोई विकल्प नहीं है। एकल-न्यायाधीश की पीठ का आदेश उचित था। वास्तव में, नगर पालिकाओं की भर्ती का मामला तब सामने आया जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी करोड़ों के स्कूल भर्ती मामलों के सिलसिले में निजी रियल एस्टेट प्रमोटर अयान सिल के आवास पर छापेमारी और तलाशी अभियान चला रहे थे।
मामले की केंद्रीय जांच का आदेश मूल रूप से कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा दिया गया था। इस फैसले को चुनौती देने के लिए राज्य सरकार ने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मामले को वापस कलकत्ता उच्च न्यायालय में भेज दिया। इसके बाद, राज्य सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की अदालत का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, न्यायमूर्ति सिंह ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के आदेश को बरकरार रखा और केंद्रीय एजेंसियों को मामले में अपनी जांच जारी रखने का निर्देश दिया। इसके बाद, राज्य सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्बा सिन्हा रे की खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया, जिसने यह दावा करते हुए सुनवाई से खुद को अलग कर लिया कि मामला उस पीठ की सुनवाई के विषय का हिस्सा नहीं है। यह मामला न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ को भेजा गया, जिन्होंने भी इसी आधार पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। अंतत: इस मामले को न्यायमूर्ति चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति चटर्जी की खंडपीठ के पास भेज दिया गया।
(जी.एन.एस)