जोधपुर, 27 जुलाई — केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत रविवार को जोधपुर दौरे पर रहे, जहां एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने राजस्थान के झालावाड़ ज़िले में हाल ही में हुए स्कूल भवन गिरने की घटना को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया। इस हादसे में कई बच्चों की मौत हो गई थी, जिससे पूरे राज्य में शोक और आक्रोश का माहौल है।

घटना की जांच और सख्त कार्रवाई की बात

शेखावत ने कहा कि इस दुखद घटना की जांच कराई जा रही है और इसके बाद जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “हमें इस घटना से सबक लेना होगा। ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए पुख्ता कदम उठाए जा रहे हैं।”

सार्वजनिक भवनों और विद्यालयों का होगा ऑडिट

भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए राजस्थान सरकार की पहल का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सभी सरकारी विद्यालयों और सार्वजनिक भवनों का ऑडिट शुरू कर दिया गया है। शेखावत ने कहा, “हमें एक बार फिर से सभी भवनों का गहन आकलन करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सुरक्षित हैं।”

शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग पर दी प्रतिक्रिया

हादसे के बाद विपक्ष द्वारा शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए शेखावत ने इसे “राजनीति से प्रेरित बयान” बताया। उन्होंने कहा कि यह समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि गंभीरता से सुधार के उपाय करने का है।

बिहार मुद्दों पर भी रखी बात

मीडिया द्वारा बिहार के मुद्दों पर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि एनडीए पूरी तरह एकजुट है और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनेगी। चिराग पासवान द्वारा नीतीश सरकार को दिए गए समर्थन पर खेद जताने को लेकर उन्होंने कहा कि “हर बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं है।”

बिहार एंबुलेंस रेप कांड पर जताई चिंता

बिहार में एंबुलेंस में युवती से रेप के शर्मनाक मामले पर शेखावत ने कहा कि यह “बेहद चिंताजनक और अमानवीय घटना” है। उन्होंने कहा कि “अपराध की कोई सीमा नहीं होती और ऐसी घटनाओं की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। उनसे ही जवाब मांगा जाना चाहिए।”

राहुल गांधी को ‘अंबेडकर’ बताए जाने पर ली चुटकी

राहुल गांधी को डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसा बताया जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए शेखावत ने कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “अंबेडकर बनने के लिए अध्ययन, सोच, विचारों की गहराई, तपस्या और त्याग जरूरी होता है। केवल उपाधियाँ देने से कोई अंबेडकर नहीं बन जाता।”