उदयपुर, 12 जुलाई 2025 — बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म की रिलीज फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट की रोक के कारण टल गई है। इस घटनाक्रम से आहत कन्हैयालाल की पत्नी जशोदा देवी ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा साझा की है और फिल्म की रिलीज की अनुमति देने की मांग की है।
पीएम को पत्र, बेटे यश ने भेजा ईमेल
कन्हैयालाल के बेटे यश ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री कार्यालय को ईमेल के जरिए अपनी मां द्वारा लिखा गया पत्र भेजा। पत्र में जशोदा देवी ने प्रधानमंत्री मोदी से व्यक्तिगत रूप से मिलने का समय भी मांगा है, ताकि वह अपनी भावनाएं और न्याय की मांग सीधे उनके समक्ष रख सकें।
जशोदा देवी ने पत्र में उल्लेख किया कि यह फिल्म उनके दिवंगत पति की शहादत की सच्चाई को उजागर करती है और इसे रोकना घटना की वास्तविकता को दबाने जैसा है। उन्होंने लिखा कि फिल्म के जरिए देश को यह संदेश दिया जा सकता है कि आतंक के खिलाफ आवाज उठाने वाले अकेले नहीं हैं।
क्या है मामला?
यह फिल्म 28 जून 2022 को उदयपुर में हुए निर्मम हत्याकांड पर आधारित है, जब टेलर की दुकान चलाने वाले कन्हैयालाल की दो युवकों — रियाज अख्तर और गौस मोहम्मद — ने दिनदहाड़े हत्या कर दी थी।
हमलावर ग्राहक बनकर दुकान पर पहुंचे थे। कपड़े सिलवाने के बहाने उन्होंने कन्हैयालाल को पास बुलाया और फिर धारदार हथियार से हमला कर दिया।
इस वीभत्स घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी वायरल किया गया, जिससे देशभर में आक्रोश फैल गया। बाद में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर एनआईए जांच में शामिल किया गया।
फिल्म की रिलीज पर क्यों लगी रोक?
दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म की रिलीज पर आपत्ति जताई गई, जिसमें कहा गया कि यह फिल्म मामले की निष्पक्षता और सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती है। अदालत ने इस पर विचार करते हुए फिल्म की रिलीज पर फिलहाल अंतरिम रोक लगा दी है।
परिवार की पीड़ा और न्याय की मांग
जशोदा देवी का कहना है कि वह इस फिल्म को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि अपने पति के बलिदान की आवाज मानती हैं। उन्होंने लिखा कि “यह फिल्म उस सच्चाई को सामने लाती है, जिससे समाज और सरकार आंखें नहीं मूंद सकती।”
पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की है कि इस मुद्दे को मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाए, और सरकार फिल्म की रिलीज को लेकर जरूरी कदम उठाए।
अब सबकी निगाहें प्रधानमंत्री कार्यालय और न्यायालय की अगली कार्यवाही पर टिकी हैं। जशोदा देवी को उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और कन्हैयालाल की याद में बनी फिल्म को समाज के सामने आने का मौका मिलेगा।











































































































































































































































































































































































































































































































































































































