जयपुर: राजस्थान सरकार की बहुचर्चित निशुल्क दवा योजना, जो मरीजों को राहत देने के उद्देश्य से चलाई जा रही थी, अब खुद मरीजों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में हालात ऐसे हैं कि कैल्शियम जैसी सामान्य दवा के लिए भी मरीजों को 5-5 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है।
कई काउंटर, एक दवा – फिर भी न मिले राहत
हकीकत ये है कि SMS अस्पताल में फ्री दवा लेने के लिए मरीजों को छह से अधिक काउंटरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। कभी ID की फोटोकॉपी लाने का बहाना, तो कभी दूसरे काउंटर पर भेजने की प्रक्रिया – हर कदम पर व्यवस्था की बदहाली साफ नजर आती है।
विशेष रूप से बुजुर्ग और गरीब मरीज, जो दूर-दराज से यहां इलाज के लिए आते हैं, उन्हें घंटों धक्के खाने के बाद भी जरूरी दवाएं समय पर नहीं मिल पा रही हैं।
RMSCL और अस्पताल प्रशासन के बीच समन्वय की कमी
मुख्य वजह है राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड (RMSCL) और अस्पताल प्रशासन के बीच समन्वय की भारी कमी। आरएमएससीएल की ओर से 300 से ज्यादा आवश्यक दवाओं के टेंडर अभी तक फाइनल नहीं हुए, जिसके कारण ये दवाएं अस्पताल में मौजूद ही नहीं हैं।
मरीजों को ऐसे बनाया जा रहा फुटबॉल:
- डॉक्टर से परामर्श के बाद मरीज को पहले काउंटर 1-9 पर भेजा जाता है।
- वहां कुछ दवाएं दी जाती हैं और बाकी के लिए भेजा जाता है काउंटर 10 या 11 पर।
- यहां घंटों लाइन में लगने के बाद ID की दो फोटोकॉपी मांगी जाती है।
- फोटोकॉपी लाकर फिर लाइन में लगना पड़ता है।
- इसके बाद बनता है PO (Purchase Order), और फिर चार-पांच घंटे बाद किसी निजी दुकान से दवा खरीदकर उपलब्ध करवाई जाती है।
ये पूरी प्रक्रिया मरीज के साथ उपेक्षा और अनावश्यक मानसिक प्रताड़ना के बराबर है।
चिकित्सा मंत्री ने दिए थे निर्देश, पर असर नदारद
राज्य के चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने हाल ही में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि मौसमी बीमारियों के मद्देनज़र अस्पतालों में सभी आवश्यक दवाएं उपलब्ध करवाई जाएं। साथ ही, जो दवाएं RMSCL नहीं दे पा रही, उन्हें रेगुलर रेट कांट्रेक्ट के जरिए अस्पतालों को खुद खरीदना चाहिए।
लेकिन SMS प्रशासन ने ना समय पर टेंडर किया, ना रेट कांट्रेक्ट किया। अब स्थिति यह है कि महंगी दरों पर लोकल खरीद शुरू कर दी गई है, जिससे न केवल सरकार की छवि प्रभावित हो रही है, बल्कि मरीजों की जेब पर भी अप्रत्यक्ष बोझ पड़ रहा है।
क्या है समाधान?
- दवा वितरण काउंटरों की संख्या बढ़ाई जाए और उन्हें एकीकृत किया जाए।
- RMSCL को टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता और तेजी लानी होगी।
- अस्पताल प्रशासन को फेल होने पर जवाबदेह बनाया जाए।
- ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से मरीजों को दवाओं की उपलब्धता की जानकारी दी जाए।











































































































































































































































































































































































































































































































































































































